उनकी हत्या
उनकी हत्या के एक दिन पहले
- इंदिरा गांधी ने 30 अक्टूबर 1984 को उड़ीसा के भुवनेश्वर में बीबीएसआर परेड ग्राउंड में अपना आखिरी भाषण दिया। उन्होंने कहा, "आज मैं यहां हूं, कल यहाँ न भी रहूँ। लेकिन राष्ट्रीय हित की देखभाल करने की जिम्मेदारी भारत के हर नागरिक के कंधे पर है। मैंने इसका अक्सर पहले भी उल्लेख किया है। कोई नहीं जानता कि मुझे मारने के लिए कितने प्रयास किए गए हैं, मुझे मारने के लिए लाठी का इस्तेमाल किया गया था। भुवनेश्वर में ही, मुझे ईंट मारी गई। उन्होंने हर संभव तरीके से मुझ पर हमला किया है। मुझे परवाह नहीं है कि मैं जीती हूं या मरती हूं। मैंने एक लंबा जीवन जिया है और मुझे गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में व्यतीत किया है। मुझे इस पर गर्व है और किसी बात पर नहीं। मैं अपनी आखिरी श्वास तक सेवा करती रहूंगी और अगर मैं मर भी गई, तो मैं कह सकती हूं कि मेरे खून की हर बूंद एक नए भारत का निर्माण करेगी और इसे मजबूत करेगी।"