1800 से, नेहरू घराना, ब्रिटिश लोगों से संबंध होने के कारण, भारतीय और पश्चिमी संस्कृतियों का मिश्रण था। इंदिरा के दादा, मोतीलाल नेहरू, इलाहाबाद में एक प्रमुख और अमीर वकील थे। उन्होंने अंग्रेजी भाषा को प्राथमिकता दी, महंगे सूट पहने, पश्चिमी व्यंजनों का आनंद लिया और वे धार्मिक नहीं थे। उनकी पत्नी, स्वरूप रानी, दूसरी ओर, बहुत पारंपरिक थीं और एक हिंदू भक्त थीं। 1900 में परिवार एक भव्य अंग्रेजी शैली की हवेली 'आनंद भवन' में रहने आ गया।
8 फरवरी, 1916 को इंदिरा के माता-पिता की शादी हुई। उनके पिता, जवाहर लाल नेहरू 26 वर्ष के थे और उनकी माँ, कमला नेहरू उस समय 17 वर्ष की थीं।
आगामी वर्ष, 19 नवंबर 1917 को, कमला ने बच्चे को जन्म दिया। बच्चे का जन्म करवाने वाले स्कॉट्समैन ने बताया कि, "यह एक बोनी लेज़ी (खूबसूरत लड़की) है, सर"। इंदिरा गांधी प्रतिस्पर्धात्मक दृष्टिकोण वाले खंडित भारतीय समाज में नेहरू खानदान में पैदा हुई। उनके दादा की इच्छा के अनुरूप उनकी पड़ दादी, इंद्राणी के नाम से उनका नामकरण किया गया था।
इंदिरा गांधी का जन्म शुरुआत में कोई उत्सव नहीं था। स्वरूप रानी ने एक पोते की बजाय पोती को प्राथमिकता दी (उन्होंने अपने दो बेटों को जन्म देते ही खोया था)।
जहाँ परिवार के कुछ सदस्य एक लड़की के जन्म से निराश थे, वहीं उनके गर्वित पिता ने उनके जन्म के साथ सबसे बड़ी ऐतिहासिक घटनाओं में से एक के घटन को देखा। उनके तेरहवें जन्मदिन पर उनको लिखे पत्र में उन्होंने उनके जन्म के महीने को रूसी क्रांति की शुरुआत बताया।
नेहरू के लिए, वे 'तूफान और मुसीबतों से भरी दुनिया' में पैदा हुई थीं और एक और क्रांति के बीच में बड़ी होंगी। उनके दादा ने भी जताया कि उनकी पोती "हजार पोतों से बेहतर है"।
#कतरन1: जब मुंशी मुबारक अली (मुंशीजी आनंद भवन के लगभग 50 कर्मचारियों के प्रमुख थे) एक लाइलाज बीमारी के साथ एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे थे, वे मरने से पूर्व इंदिरा को देखना चाहते थे। जब इंदिरा को उनके पास लाया गया तो मुंशीजी उसे जवाहर लाल के बेटे के रूप में देख रहे थे और उन्होंने छोटी लड़की के लिए वो प्रार्थना की और आशीर्वाद बरसाए जो प्रथानुसार एक प्रिय मित्र के पुरुष वारिस के लिए की जाती हैं। कहीं वे निराश न हो जाएं, इसलिए उनकी इस भूल की ओर किसी ने ईशारा नहीं किया।