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Indira Gandhi Philosophy

जॉन ऑफ़ आर्क ने स्वदेश के लिए दी अपनी जान।

उसके बलिदान ने किया प्रेरित एक नन्हीं बाला को, इंदु था जिसका नाम।

जॉन की तरह उसने भी अपने दोस्तों को लेकर बनाई, एक छोटी सी सेना, भारत की आजादी की लड़ाई के लिए।

वो बड़ी होकर बनी इंदिरा गांधी।

देश प्रेम की अदम्य भावना ने किया उसे प्रेरित।

देश प्रेम  ने उसमें अदम्य साहस भरा।

कोई भी विपदा उसे दबा नहीं पाई।

श्रीमती गांधी के शब्दों में :-

"साहस के बिना आप किसी भी अन्य सद्गुण का पालन नहीं कर सकते।

आपमें विभिन्न प्रकार का साहस होना चाहिए।

विभिन्न मूल्यों को सुलझाने के लिए आप में  बौद्धिक साहस होना चाहिए।

जो आपकी दृष्टि में सही है, उस पर अटल रहने के लिए नैतिक साहस चाहिए ।

आपमें शारीरिक साहस भी होना चाहिए, क्योंकि जिस मार्ग पर आप चलना चाहते हैं वो कभी-कभी कठिनाइयों से भरा होता है।"

"इंदिरा गांधी ‘साहस’ है और ‘साहस’ इंदिरा गांधी है।"

'मैं साहस हूँ' इंदिरा उत्सव अभियान है।