जब इंदिरा 1937 में ब्रिटेन में थीं, उन्होंने फिरोज गांधी, लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स के एक छात्र के साथ समय बिताना शुरू कर दिया।
उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया कि एक बार जब उन्होंने फिरोज से शादी करने का फैसला किया तो उन्होंने आसानी से फिरोज के प्रस्ताव पर 'हां' नहीं की।
इंदिरा को शादी के लिए राज़ी करने में फिरोज को कईं वर्ष लगे। फिरोज ने जब पहली बार इंदिरा को शादी का प्रस्ताव दिया था तब वे सिर्फ 16 साल की थीं।
26 मार्च 1942 को इंदिरा ने फिरोज गांधी से इलाहाबाद में शादी कर ली, जो 25 साल की उम्र में एक वकील बने। इंदिरा की शादी सुंदर थी लेकिन एक साधारण समारोह द्वारा हुई। उन्होंने भारी जरी की प्रथागत दुल्हन वाली साड़ी के बजाय, उस धागे से बनी एक साधारण गुलाबी कपास की साड़ी पहनी जिसे उनके पिता ने खुद काता था। उन्होंने कोई आभूषण नहीं पहना था। उन्होंने अपनी कलाई पर सिर्फ सुगन्धित मोतिया के फूलों के गहने पहने थे। 1944 में इंदिरा और फिरोज के यहाँ उनका पहला बेटा राजीव पैदा हुआ। वे नवंबर 1946 में लखनऊ के एक नए घर में रहने आ गए। दिसंबर 1946 में, उनका दूसरा बेटा संजय पैदा हुआ।
बच्चों के पैदा होने के बाद, इंदिरा एक दुविधा में थी कि उन्हें राजनीति में बने रहना चाहिए या एक माँ और एक समर्पित गृहिणी के रूप में रहना चाहिए। जो लोग उनसे बहुत करीब से परिचित थे, उनका कहना था कि अगर उनपर छोड़ दिया जाता तो वे अपने बच्चों तथा पति की देखभाल करने से अधिक और किसी बात में दिलचस्पी नहीं लेतीं। लेकिन, इस मामले में उनके पास कोई चारा नहीं था।
जब कभी भी इंदिरा को किसी भी पारिवारिक या राजनीतिक काम में भाग लेने के लिए बाहर जाने की जरूरत पड़ती, वे आम तौर पर बेटों के स्कूल से लौटने के बाद ही उन गतिविधियों के लिए योजना बनाती थीं। उन्हें किसी आया या नैनी के हाथों बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी छोड़ना पसंद नहीं था, जबकि इस तरह की प्रथा आम थी।
लेकिन यह व्यवस्था ज्यादा समय नहीं चली। उनके पिता के दबाव, कि इंदिरा उनकी मदद करे, ने उन्हें दिल्ली जाने को मजबूर किया। वे बेटों के साथ दिल्ली आ गईं, लेकिन उन्हें लेकर कईं बार फिरोज से मिलने लखनऊ गईं।
"मैं कम प्यार नहीं करती थी। मुझे लगता है कि मेरे पति ने मुझे बहुत गहराई से प्यार दिया और मैंने उन्हें। देने की भावना से खुशी मिलती है।" उन्होंने ऐसा एक पत्रकार को एक बार बताया था।
1960 में दिल का दौरा पड़ने से फिरोज का निधन होने तक उनकी शादी 18 साल तक चली ।
प्रारंभ में इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय को उनका वारिस चुना गया था, लेकिन जून 1980 में एक उड़ान दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद, श्रीमती गांधी ने अनिच्छुक बड़े बेटे राजीव को पायलट की अपनी नौकरी छोड़ कर फरवरी 1981 में राजनीति में प्रवेश करने के लिए तैयार कर लिया। बाद में, एक दशक के बाद राजीव गांधी की हत्या हो गई।