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आत्म निर्भरता की और कदम

पहले के दशकों में, वंचित लोगों की मांग स्वतंत्रता प्राप्ति थी। आज यह आत्मनिर्भरता होनी चाहिए.....“ - इंदिरा गांधी, 20 मार्च, 1972, नई दिल्ली।

इंदिरा गांधी के नेतृत्व में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की उपलब्धियां उत्कृष्ट रहीं।

  • प्रधानमंत्री के रूप में, इंदिरा ने आर्थिक योजना में नेहरू की विरासत को आगे बढ़ाया। नेहरू की तरह, वह खाद्यान्न, रक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे अहम क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध थीं। उनके द्वारा अपनाए उपायों से तेल संकट जैसे प्रतिकूल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के प्रति भारतीय अर्थव्यवस्था को संरक्षण मिला। उन्होंने सत्तर और अस्सी के दशक में, मुद्रास्फीति को एक हद तक नीचे लाने की दिशा में काम किया। कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन इस अवधि के दौरान काफी तेज कर दिया गया था।
  • जवाहर लाल नेहरू की तरह इंदिरा ने निधि की वृद्धि के माध्यम से देश के भीतर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं और संस्थानों को मजबूत बनाकर वैज्ञानिक अनुसंधान के विकास की एक कल्पनाशील नीति अपनाई। अब यह व्यापक रूप से स्वीकार किया गया कि भारत, वैज्ञानिक मानव शक्ति और तकनीकी जानकारी के संबंध में विकासशील देशों में एक प्रमुख स्थान रखता है।
  • सत्तर के दशक के प्रारंभ में किए गए भूमि सुधार कार्यों के दूसरे चरण ने कुछ ही हाथों में देश की जमीन पर नियंत्रण को रोकने की प्रक्रिया के द्वारा ग्रामीण भारत का परिदृश्य ही बदल दिया। इस कार्यक्रम ने भूमिहीन परिवारों के लाखों लोगों को भूमि प्रदान की।
  • उन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के अनुसंधान के क्षेत्र में विशेष रुचि ली।