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एक जीवन और विरासत को दर्शाती इंदिरा गांधी की दुर्लभ छवियाँ

शुक्रवार, नवंबर 25, 2016
Source : लाइव मिंट

जैसे ही हम स्वराज भवन, इलाहाबाद में प्रवेश करते हैं, युवा इंदिरा का एक चित्र आपकी आँखों को तृप्त करता है। 1926 में जेनेवा में लिए गए इस चित्र में इंदिरा की ऐनी फ्रैंक के साथ विलक्षण समानता दिखाई दे रही है। दीप्ति शशिधरन ने कहा, "यह आश्चर्यजनक है कि लगभग प्रत्येक व्यक्ति ने इस तस्वीर को 'ऐनी फ्रैंक-इश कहा है।" शशिधरन और प्रमोद कुमार के.जी. द्वारा सह-क्यूरेट की गई प्रदर्शनी - इंदिरा : एक साहसी जीवन, में प्रदर्शित की जाने वाली यह तस्वीर इंदिरा गांधी की 200 से अधिक छवियों में से एक है।

यह कार्य दो साल पहले शुरू किया गया था, जब इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, या आई जी एम टी ने एका संसाधन (दो साथियों द्वारा संचालित एक संगठन) से, न्यास में उपलब्ध 90,000 छवियों का कोषागार बनाने और उनका डिजिटलीकरण करने हेतु संपर्क किया।

सुमन दुबे, सचिव, आई जी एम टी, कहते हैं, "यहाँ निजी और सार्वजनिक स्रोतों से एकत्र की गई अमूल्य सामग्री थी। इंदिरा गांधी के जन्म शताब्दी वर्ष के आगमन के साथ, न्यास (ट्रस्ट) ने इनमें से कुछ दुर्लभ चित्रों को वर्षभर की एक लंबी प्रदर्शनी में, जोकि पांच शहरों की यात्रा करेगी, इलाहाबाद से प्रारंभ करके मुंबई (फरवरी 2017), कोलकाता (अप्रैल), बेंगलुरु (अगस्त) और दिल्ली (नवंबर) तक ले जाने का निर्णय लिया।

दुबे का कहना है-"25 वर्ष की उम्र से कम के अधिकांश लोग, तब दुनिया में आए, जब वे जीवित नहीं थीं। उनको इंदिरा की विरासत से परिचय कराने का यह एक प्रयास है, ताकि वे उनके मानवीय गुणों से परिचित हों, न कि पाठ्य पुस्तकों में वर्णित छवि से। प्रदर्शनी के प्रत्येक चरण में उस शहर से सम्बन्धित कुछ विशिष्ट छवियां होंगी। उदाहरण के लिए, उन्होंने मुंबई में नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिग आर्ट (एनसीपीए) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।"

शशिधरन कहती हैं - "जब हमने उन लोगों से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि वे जब भी यहाँ आती थीं, चुपचाप फर्श पर बैठकर प्रदर्शन देखा करती थीं।"

शो में कईं दुर्लभ तस्वीरें देखी जा सकती हैं। कुमार कहते हैं - "कश्मीर में फिरोज और इंदिरा के हनीमून की 1942 की दो छवियां हैं, वे तस्वीरें जोकि उन्होंने एक दूसरे की खींची थी।"

"एक और अत्यंत काव्यात्मक चित्र, जिसमें महात्मा गांधी की अस्थियां ले जा रही ट्रेन में, इंदिरा हैं।" कुमार ने एक चित्र की और संकेत करते हुए बताया कि यह तस्वीर जवाहर लाल नेहरू द्वारा ली गई है, जिसमें इंदिरा गांधी विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांति निकेतन में अपने कमरे में अपनी रूममेट मृणालिनी स्वामीनाथन (बाद में मृणालिनी साराभाई) के साथ बैठी हैं। फोटो के पीछे फोटोग्राफर के क्रेडिट के रूप में नेहरू का एक हस्तलिखित नोट है।

उन चित्रों के पीछे के व्यक्ति के बारे में फोटो कैसे सूचित करती रही हैं? शशिधरन कहती हैं - "मैं कहना चाहूंगी कि इस मामले में व्यक्ति के पीछे व्यक्तित्व था। मुझे उनके काम करने की शैली के बारे भी काफी पता लगा। उनकी कहानी उनके पिता से अलग है। यह एक युवा राष्ट्र के अपने रूप में आने की कहानी प्रतिबिंबित करती है। अन्य महिलाओं की तरह वे भी एक बहुकार्यकर्ता थीं।"

फरवरी में एनसीपीए, मुंबई की यात्रा से पूर्व 5 जनवरी तक 'इंदिरा: एक साहसिक जीवन' स्वराज भवन इलाहाबाद में प्रदर्शित होगी।