It's time to upgrade your browser

You're using an outdated version of Internet Explorer.

DOWNLOAD NOW

अतीत के झरोखे से

नवंबर 30, 2016 फोटोग्राफी, दिखाएँ
Source : बिग आर्ट

भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री कैमरे के सामने सदैव स्वाभाविक रहती थीं। जबकि उन्होंने कभी किसी तस्वीर के लिए कोई पोज़ नहीं दिया, लेकिन कैमरा वालों ने उनके जीवन के सर्वाधिक प्रतिष्ठित क्षणों को कैद किया। तस्वीरें ऐसी कि मानों एक बहुत तैयारी के साथ किया गया फोटोशूट हो। उनमें शिष्टता, तीव्रता थी और सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह कि उनके साथ नेहरूवादी विरासत थी। चाहे एक संवाददाता सम्मेलन हो या फिर अपने बच्चों के साथ बगीचे के फूलों को निहारते हुए मधुर पल हों या फिर कहीं चुनाव के प्रचार में लगीं हों, दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हमेशा एक फोटोग्राफर का सपना साकार किया है।

इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट (आईजीएमटी) द्वारा आयोजित "इंदिरा : एक साहसिक जीवन" नामक प्रदर्शनी से आप अपनी आँखें तृप्त कर सकते हैं। यह प्रदर्शनी अभिलेखीय तस्वीरों, जोकि उनके बचपन से लेकर उनके पूरे जीवनकाल के दस्तावेज हैं, के माध्यम से दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन काल को प्रदर्शित करती है। यह प्रदर्शनी दीप्ति शशिधरन और प्रमोद कुमार केजी, एक स्वतंत्र क्यूरेटर और एका (एक संग्रहालय प्रबंधन कंपनी) के संस्थापक तथा प्रबंधन निदेशक द्वारा क्यूरेट की गई है। उनके साथ बात करने का हमें अवसर मिला। प्रदर्शनी में उपलब्ध सभी चित्र आईजीएमटी से अत्यधिक परिश्रम से चयनित किए गए हैं और इस प्रकार से संग्रहित किए गए हैं, जो उनके जीवनकाल को दर्शाता है।

वर्ष भर की लंबी यात्रा करने वाली प्रदर्शनी, 22 नवंबर 2016 को इलाहाबाद में नेहरू परिवार के पैतृक घर 'स्वराज भवन' से प्रारंभ हुई। यह मुंबई से कोलकाता, बेंगलुरू होते हुए नवंबर 2017 में दिल्ली में समाप्त होगी। इसका आयोजन इंदिरा के शताब्दी वर्ष के प्रारंभ के उपलक्ष्य में किया गया है और आईजीएमटी ने इंदिरा गांधी स्मारक संग्रहालय (आईजीएमएम) पर इंदिरा गांधी के जन्मदिन पर 'भारत ने इंदिरा को याद किया' थीम पर आधारित तीन दिवसीय एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रदर्शनी में पुनर्सृजित तस्वीरें भी हैं तथा प्रदर्शित कोई भी छवि बिक्री हेतु नहीं हैं। प्रमोद कुमार केजी कहते हैं - "इस प्रदर्शनी में उल्लेखनीय है कि ये छवियाँ प्रसिद्ध फोटोग्राफरों द्वारा ली गई इंदिरा गांधी की सुप्रसिद्ध तस्वीरें नहीं हैं, बल्कि ऐसे अज्ञात लैंस-छायाकार द्वारा ली गईं हैं, जिनका नाम भी ज्ञात नहीं है।"

 

प्रमोद कहते हैं - "उदाहरण के लिए, हमारे पास इंदिरा गांधी की बांग्लादेश की एक बहुत ही दुर्लभ छवि है (1971 का बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम), जोकि भारत और उसके महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षणों के इतिहास का एक व्यापक संदर्भ है।"

वे आगे कहते हैं- "वास्तव में, दिवंगत प्रधानमंत्री का जीवन भारत की आजादी, विकास और राष्ट्र निर्माण के पूरे इतिहास में फैला है। क्यूरेटर कहते हैं - "वे भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षणों के दौरान अपने पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ एक नवयुवती के रूप में थीं....वे प्रौद्योगिकी, बांधों, सड़क और कृषि क्रांतियों और राष्ट्रीयकृत बैंकों के क्षेत्र में भारत की प्रगति में एक उत्प्रेरक थीं "।

छवियों को कलात्मक तरीके से बारीकी से तैयार किया गया है तथा ये महान कारीगरी प्रदर्शित करती है क्योंकि ये फिल्म और सीमित फ्रेम की संख्या का उपयोग करके की जाने वाली फोटोग्राफी के सादृश्य काल (एनालोग पीरियड) के दौरान ली गईं छवियाँ हैं। प्रमोद कहते हैं - "वह भी आज के समान एक समय था जब राजनेताओं का निजी और राजनीतिक जीवन प्रेस के लिए खुला था"। इसी करण से, हम प्रधानमंत्री के अंतरंग जीवन की एक झलक देख पा रहे हैं। हम जो आज देख पा रहे हैं औपचारिक फायरिंग दस्ते की छवियों से परे क्लोज अप्स। (यह नवंबर 2017 में दिल्ली वापस आएगी)