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हरित क्रांति

खाद्य और कृषि के कई क्षेत्रों में भारत की आत्मनिर्भरता हरित क्रांति के फलस्वरूप है, जिसका मार्ग इंदिरा गांधी ने प्रशस्त किया था। भारतीय वैज्ञानिकों को अपने अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी नीतियों के कारण भारतीय किसानों ने बड़े उत्साह के साथ नई किस्मों को स्वीकार करना प्रारंभ किया। इसके लिए अत्यधिक साहसिक राजनीतिक नेतृत्व और दूरदर्शिता की आवश्यकता थी, जो उन्होंने 1966 में प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के शुरुआत से ही प्रदान की थी। उनके कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप भारत कुछ वर्षों में ही आयातित खाद्य और कृषि उत्पादों पर अत्यधिक निर्भरता को परिवर्तित करके अनेक कृषि उत्पादों का निर्यातक बन गया।